(Video) राज्य सभा टीवी देश देशांतर Rajya Sabha TV (RSTV) Desh Deshantar : समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)


(Video) राज्य सभा टीवी देश देशांतर Rajya Sabha TV (RSTV) Desh Deshantar : समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)


विषय (Topic): समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)

अतिथि (Guest):

  • P. K. Malhotra, (Former Secretary, Ministry of Law & Justice, GoI) (पी.के. मल्होत्रा, पूर्व सचिव, विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार)
  • Baggi Ashok Bagariya, (Legal Editor, TV 9) (अशोक बागड़िया, लीगल एडिटर, TV 9)

विषय विवरण (Topic Description):

समान नागरिक संहिता पर दी गई दिल्ली हाईकोर्ट की एक अहम टिप्पणी के बाद ये विषय एक बार फिर चर्चा में है, तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा है कि देशभर में समान नागरिक संहिता का वक्त अब आ गया है, यूनिफॉर्म सिविल कोड की वकालत करते हुए कोर्ट ने केंद्र को इस दिशा में कदम बढ़ाने की सलाह दी है. अपनी टिप्पणी में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि देश जाति, धर्म और समुदाय से ऊपर उठ रहा है. ऐसे में, समान नागरिक संहिता समय की मांग और जरूरत है, कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 44 में यूनिफॉर्म सिविल कोड की जो उम्मीद जतायी गयी थी, अब उसे हकीकत में बदलना चाहिए. हाई कोर्ट ने 1985 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी एक निर्देश का हवाला देते हुए निराशा जताई कि तीन दशक बाद भी समान नागरिक संहिता को गंभीरता से नहीं लिया गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस ए बोबडे भी गोवा के यूनिफॉर्म सिविल कोड की तारीफ की कर चुके है. चीफ जस्टिस ने कहा था कि गोवा के पास पहले से ही ऐसा यूनिफॉर्म सिविल कोड है जिसकी कल्पना संविधान निर्माताओं ने की थी, दुनिया भर में देंखे तो अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट, जैसे कई देश हैं जहां समान नागरिक संहिता लागू है। बहरहाल दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद समान नागरिक संहिता पर फिर से बहस छिड़ गई है. एक बड़ा वर्ग मानता है कि पूरे देश में सभी के लिए एक समान संहिता होनी चाहिए, वहीं कुछ लोग इसे संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के विरोध में मानते हैं.
 

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Courtesy: RSTV