दुनिया का पहला क्लोन आर्कटिक वुल्फ (World's First Cloned Arctic Wolf) : डेली करेंट अफेयर्स

आर्कटिक वृक (Arctic wolf) या आर्कटिक भेड़िया को श्वेत वृक (white wolf) और ध्रुवीय वृक (polar wolf) भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम कैनिस लूपस आर्कटोस (Canis lupus arctos) है। अभी वर्तमान में आर्कटिक भेड़िये विलुप्त होने की कगार पर हैं। इन्हें बचाने के लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं। इसी क्रम में चीन ने पहली बार आर्कटिक भेड़ियों की क्लोनिंग करके नया भेड़िया पैदा किया है। इसे पैदा किए हुए लगभग 100 दिन हो चुके हैं यानी यह शावक अब 100 दिन का हो चुका है और पूरी तरह से स्वस्थ है। इस आर्कटिक भेड़िये का जन्म 10 जून 2022 को हुआ था और इसका नाम माया रखा गया है।

यह दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला है। चीन की एक जेनेटिक कंपनी साइनोजीन बायोटेक्नोलॉजी एंड हार्बिन पोलरलैंड ने इस भेड़िये की क्लोनिंग की है। कंपनी ने साल 2020 में इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था और दो साल की मेहनत के बाद यह क्लोनिंग सफल हुई। इसे बनाने के लिए डोनर सेल कनाडा के एक मादा आर्कटिक भेड़िये की त्वचा से लिया गया था। इसके बाद अंडे को एक मादा कुतिया से लिया गया। फिर इसे एक बीगल ब्रीड की कुतिया के गर्भ में सरोगेट कराया गया। सवाल उठता है कि बीगल ब्रीड की कुतिया का ही चयन क्यों किया गया तो इसके लिए आपको बता दूं कि आर्कटिक भेड़िये और बीगल ब्रीड की कुत्तिया का जेनेटिक्स कई मामलों में एक जैसा होता है। अगर किसी और कुत्ते का चयन किया गया होता तो शायद यह प्रोजेक्ट सफल ना हो पाता।

क्लोनिंग टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने के लिए आर्कटिक भेड़िये की यह क्लोनिंग एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि क्लोनिंग से दुनिया के दुर्लभ और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके जीवों को बचाया जा सकता है।