अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस - 16 सितंबर : डेली करेंट अफेयर्स

हर साल 16 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन खासतौर पर सभी देशों को हमारी ओजोन लेयर को बचाने के लिए ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन लोगों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक किया जाता है। हर साल एक नई थीम के साथ अंतर्राष्ट्रीय ओजोन दिवस मनाया जाता है। इस साल (2022) 'पृथ्वी पर जिंदगी बचाने के लिए ग्लोबल सपोर्ट' थीम के साथ ओजोन डे मनाया जा रहा है।

हम अपने शरीर को अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने के लिए सनस्क्रीन लगाते हैं। ठीक उसी तरह पृथ्वी को भी घातक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने का काम पृथ्वी के ऊपर बनी एक ओजोन परत करती है। ओजोन (O3) आक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक रंगहीन गैस है। ये एक हल्का नीला, जीवन के लिए हानिकारक, बदबूदार और अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है जो समताप मंडल में ऊपर मौजूद होती है। ओजोन का बहुत ऊपर होना ही इसे हमारे लिए हानिकारक होने के बजाय फायदेमंद बनाता है। अगर यह पृथ्वी के वायुमंडल के करीब होती तो, इसका ग्रीनहाउस प्रभाव हमारे लिए हानिकारक होता, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और इससे जुड़ी अन्य आपदाएं होतीं।

ओजोन हानिकारक यूवी रेडिएशन या सोलर रेडिएसन को कम करता है। इस तरह ये हमें कई बीमारियों जैसे सनबर्न, त्वचा कैंसर और मोतियाबिंद आदि से बचाती है। ओजोन लेयर के बिना, सभी इंसानों और जानवरों की इम्यून सिस्टम खराब हो जाएगा, और महासागरों में फाइटोप्लांकटन उत्पादकता में नकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।

यह हमारे लिए चिंता की बात है कि ओजोन परत को ग्रीनहाउस गैसों खासकर क्लोरो फ्लोरोकार्बन से काफी नुकसान पहुंच रहा है। यह ओजोन परत का क्षरण करके पृथ्वीवासियों के लिए खतरा पैदा कर रही है। ओजोन-क्षयकारी पदार्थों में हेलोकार्बन रेफ्रिजरेंट, सॉल्वैंट्स, प्रोपेलेंट और फोम-ब्लोइंग एजेंट जैसे निर्मित रसायन हैं।

बात अगर ओजोन संरक्षण के उपायों की करें तो इसके लिए भारत ने साल 1991 में वियना कन्वेंशन और 1992 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया था। भारत 1993 से ओजोन विघटनकारी पदार्थों को धीरे-धीरे बाहर करने में लगा हुआ है। इस काम में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम यानि यूएनडीपी ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि ओजोन परत की संरक्षण के लिए सरकारी जो कोशिश कर रही हैं, उनमें जनभागीदारी भी काफी जरूरी है। भौतिक सुख-सुविधाओ में कमी की बेहतर नीति अपनाकर, ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करके और दैनिक जीवन में इको फ्रेंडली आदतें अपनाकर काफी हद तक ओजोन परत को संरक्षित किया जा सकता है।