पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन प्रबंधन के लिए वैश्विक गठजोड़ बढ़ाता भारत - समसामयिकी लेख

   

पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियां आज राष्ट्रों के लिए एक साझी चुनौती के रूप में उभरी हैं । ये चुनौतियां राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था, पर्यटन, जैवविविधता और सतत विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैं। इसलिए भारत जैसे विकासशील देशों का हमेशा से यह प्रयास रहा है कि वैश्विक क्षेत्रीय सहयोग और गठजोड़ों के जरिये ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक और सागरीय प्रदूषण, मरुस्थलीकरण और भूमि निम्नीकरण की समस्या से निपटा जा सके। पर्यावरणीय मामलों में भारत ने इसी दृष्टिकोण से कई राष्ट्रों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग सुनिश्चित करने का काम किया है। इसी कड़ी में भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और अमेरिका के यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट ने 8 सितंबर, 2022 को भारत में " ट्रीज आउटसाइड फॉरेस्ट्स इन इंडिया " नामक एक नया प्रोग्राम लांच किया है। भारत स्थित यूएस एम्बेसी ने इस प्रोग्राम को भारत-अमेरिका के संबंधों के नए उभरते क्षेत्र के रूप में व्यक्त किया है।

इसके जरिए कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन(sequestration), स्थानीय समुदायों को सहयोग, समर्थन और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में काम किया जाएगा। यह 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर लागत वाला प्रोग्राम है जो किसानों, कंपनियों और भारत के निजी संस्थाओं को एक मंच पर लाएगा। यह पारंपरिक वनों के बाहर 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर ‘ट्री कवरेज’ को बढ़ाने के उद्देश्य से काम करेगा।

इंटरनेशनल सोलर अलायन्स के जरिये भारत की सोलर पार्टनरशिप :

भारत के नेतृत्व वाले इंटरनेशनल सोलर एलायन्स में विकसित और विकासशील देशों का लगातार जुड़ना जारी है। एक छोटे से हिमालयी देश भूटान से लेकर वैश्विक महाशक्ति अमेरिका भी हाल ही में इंटरनेशनल सोलर अलायन्स का सदस्य बना हैं। भारत नवीकरणीय ऊर्जा के विकास के लिए सौर ऊर्जा व्यापार को एक वैश्विक आंदोलन बनाने की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है जिसमें उसे सफलता मिल रही है। पिछले वर्ष अमेरिका, इंटरनेशनल सोलर एलायंस के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने वाला 101 वां सदस्य बना था। उसके बाद 2022 में एंटीगुआ और बारबुडा इंटरनेशनल सोलर एलायंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने वाला 102 वां सदस्य देश बना था।

अब तक कुल 109 देशों ने इंटरनेशनल सोलर एलायंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया है। इसमें 100 से 109वें देश तक को देखें तो ये क्रमशः इजरायल (100 वां), अमेरिका (101), एंटीगुआ बारबुडा (102), सीरिया (103), बहरीन (104), नेपाल (105) और नॉर्वे (106वां) हंगरी (107) पनामा (108) और भूटान (109वां) शामिल हैं। सबसे नवीनतम देश जिसने आईएसए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया वह है भूटान। वहीं अगर इंटरनेशनल सोलर एलायंस में कुल सदस्य देश देखें तो इनकी संख्या अब 90 हो गई है। अमेरिका इसका 90 वां देश है जिसने इंटरनेशनल सोलर एलायन्स के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर भी किया है और अनुसमर्थन भी। उल्लेखनीय है कि जब कोई देश फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर देता है और सिग्नेटरी बनने के साथ ही उसका अनुसमर्थन (रेटिफिकेशन) भी कर देता है तब वह पूर्ण सदस्य बन जाता है। हाल के समय में जो देश इसके पूर्ण सदस्य बने हैं उनमें, ग्रीस (85 वां), बहरीन (86 वां), नॉर्वे (87 वां), सीरिया (88वां ), भूटान (89 वां) और सबसे नवीनतम संयुक्त राज्य अमेरिका (90 वां) शामिल हैं।

भारत ब्रिटेन पर्यावरणीय गठजोड़ :

भारत और ब्रिटेन लाइक माइंडेड देशों के रूप में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने की दिशा में गठजोड़ कर रहे हैं। भारत और ब्रिटेन ने क्लीन एनर्जी, अल्प कार्बन अर्थव्यवस्था, ग्रीन हाइड्रोजन विकास, अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे और वाहनों से होने वाले ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को रोकने के लिए महत्त्वपूर्ण समझौते किये हैं। दोनों देशों ने ग्रीन इकॉनमी और ब्लू इकॉनमी के विकास पर बल दिया है। दोनों देशों ने ग्लासगो में कॉप 26 शिखर सम्मेलन में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर एक वेब पोर्टल ‘ई-अमृत’ लॉन्च किया। ई-अमृत’ दरअसल इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित समस्‍त सूचनाओं के लिए वन-स्टॉप डेस्टिनेशन या पोर्टल है जहां इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने, उनकी खरीदारी करने, निवेश के अवसरों, नीतियों, सब्सिडी, इत्‍यादि के बारे में समस्‍त मिथक या भ्रम पूरी तरह से दूर किये गए हैं। इस पोर्टल को ब्रिटिश सरकार के साथ एक सहयोगात्मक ज्ञान आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत नीति आयोग द्वारा विकसित और होस्ट किया गया है। इतना ही नहीं, यह पोर्टल उस ब्रिटेन-भारत संयुक्त रोडमैप 2030 का हिस्सा है जिस पर इन दोनों ही देशों के प्रधानमंत्रियों के हस्ताक्षर हैं। ‘ई-अमृत’ दरअसल इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लाभों से उपभोक्ताओं को अवगत कराने के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों के पूरक के तौर पर काम करेगा। हाल के महीनों में भारत ने पूरे देश में परिवहन को कार्बन मुक्‍त करने और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने में तेजी लाने के लिए कई पहल की हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को जल्द अपनाने के लिए एक अनुकूल माहौल बनाने में ‘फेम’ और ‘पीएलआई’ जैसी योजनाएं विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।

जल एवं पर्यावरण क्षेत्र में 21वीं सदी के बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए सी-गंगा (सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज) और ब्रिटिश वाटर के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया है। इसके साथ ही भारत और ब्रिटेन के मध्य सौर ऊर्जा के प्रयोग को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ग्लोबल ग्रीन ग्रिड को दोनों देशों ने लांच किया है। इसे ग्लोबल एनर्जी ग्रिड भी कहा जा रहा है। इस दिशा में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड की धारणा का प्रतिपादन किया गया है। भारत इस वैश्विक ग्रिड को ठीक वैसे ही विकसित करना चाहता है जैसा कि उसने इंटरनेशनल सोलर एलायंस को लांच करने की दिशा में काम किया था।

भारत और फ्राँस के मध्य बढ़ता पर्यावरणीय सहयोग :

भारत और फ्रांस, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मिलजुलकर कार्य कर रहे हैं। भारत और फ्रांस ने हाल के समय में एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर इंटरनेशनल सोलर एलायन्स के बैनर तले नवीकरणीय ऊर्जा के विकास के अपनी साझेदारी को बढ़ाने की बात की है। यहां उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में पेरिस में कोप 21 के आयोजन के दौरान ही भारत और फ्राँस के प्रमुखों ने इंटरनेशनल सोलर एलायन्स को लांच किया था। भारत और फ्रांस ने हाल ही में इस बात के प्रति अपनी साझी वचनबद्धता जाहिर की है कि वे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी साझेदारी को बढ़ाते हुए पर्यावरण मित्र प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे। भारत ने फ्राँस को अपने ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का भाग बनने के लिए भी आमंत्रित किया है। भारत को एक ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने में फ्राँस एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दोनों देश आपसी सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर सोलर एनर्जी की एशिया और यूरोप जैसे बाजारों में आपूर्ति का भी लक्ष्य रखते हैं।

फ्राँस के साथ ही जर्मनी ने भी भारत के साथ पर्यावरणीय गठजोड़ बढ़ाया है। हाल ही में जर्मनी ने भारत को उसके 2030 तक के लिए निर्धारित जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद देने के लिए 10 बिलियन यूरो की सहायता राशि देने की वचनबद्धता प्रदर्शित की है। 6वें भारत-जर्मनी इंटर गवर्नमेंटल कंसल्टेशन्स में जारी एक संयुक्त व्यक्तव्य में जर्मनी ने भारत के साथ अपनी पर्यावरणीय साझेदारी के दृष्टिगत इसकी घोषणा की। भारत को 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन बिजली क्षमता यानी नवीकरणीय ऊर्जा विकास क्षमता हेतु सक्षम बनाने के लिए जर्मनी का यह वित्तीय सहयोग निश्चित रूप से एक महत्त्वपूर्ण सहायक की भूमिका निभाएगा।

भारत और नेपाल के बीच जैवविविधता संरक्षण हेतु समझौता :

भारतीय प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नेपाल सरकार के साथ जैव विविधता संरक्षण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किये जाने से सम्बन्धित प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच गलियारों और आपस में जुड़े क्षेत्रों को फिर से शुरू करना है। इसके अतिरिक्त ज्ञान एवं सर्वोत्तम अनुभवों को साझा करने सहित वन, वन्यजीव, पर्यावरण, जैव विविधता संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग व समन्वय को बढ़ाना है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2015 में घोषित 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा की 175 गीगावाट क्षमता पाने के लक्ष्य देखते हुए, भारत ने 2021 में 100 गीगावाट की उपलब्धि (बड़ी जल विद्युत परियोजना को छोड़कर) को पार कर लिया है। अब तक भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा की विशाल क्षमता के एक हिस्से का ही दोहन किया है, इसलिए भारत ने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य 450 गीगावाट तक स्थापित क्षमता का लक्ष्य बढ़ाया है। इसके लिए ग्लोबल एनवायरमेंटल पार्टनरशिप को बढ़ाना जरूरी है। नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए भी सरकार को एक ठोस रणनीति बनानी आवश्यक है और केंद्र सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू भी कर दिया है। फिक्की के साथ साझेदारी में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने दुबई में आयोजित एक्सपो 2020 में जलवायु और जैव विविधता सप्ताह के दौरान 6 से 8 अक्टूबर, 2021 तक कई कार्यक्रमों का आयोजन किया था। इन कार्यक्रमों में भारत की नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्धियों व महत्वाकांक्षाओं, उभरते क्षेत्रों और भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के अवसरों से संबंधित विषय शामिल थे। यहीं से भारत ने वैश्विक हितधारकों को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित करना शुरू किया है।

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3:
  • पर्यावरण और पारिस्थितिकी