यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: जीरो कूपन पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड (Zero Coupon Recapitalization Bond)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): जीरो कूपन पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड (Zero Coupon Recapitalization Bond)

जीरो कूपन पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड (Zero Coupon Recapitalization Bond)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में केन्द्र सरकार ने वित्तीय नवाचार का इस्तेमाल पंजाब और सिंध बैंक को पुनर्पूंजीकृत करने के लिए किया है, सरकार ने पंजाब और सिंध बैंक के पुनर्पूंजीकरण हेतु 5,500 करोड़ रुपए की कीमत के स्पेशल जीरो कूपन रिकैपिटलाइजेशन बॉड्स जारी किये हैं। केंद्र सरकार ने पहली बार किसी बैंक में पूंजी डालने के लिए जीरो कूपन यानी शून्य ब्याज दर वाले बॉन्ड जारी किए हैं।

परिचय

  • बॉन्ड के जरिये पूंजी डालने की अवधारणा को सबसे पहले 2017 में पेश किया गया। उससे पहले, सरकार बैंकों को पूंजी बढ़ाने के लिये संचित निधि से नकद राशि दे रही थी, इससे राजकोषीय बोझ बढ़ रहा था।
  • राजकोषीय दबाव कम करने के लिये सरकार ने अक्टूबर 2017 में नया तरीका निकाला जिसे बैंकों में पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड नाम दिया गया। इस व्यवस्था के तहत सरकार उन बैंकों को बॉन्ड जारी करती है जिन्हें पूंजी की जरूरत है। हालाँकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार सबसे बड़ी शेयरधारक है, इसलिये बैंकों के पूंजी भंडार को मजबूत करने की जिम्मेदारी सरकार की है।
  • सरकार की राजपत्रित अधिसूचना के अनुसार गैर-सूचीबद्ध पंजाब ऐंड सिन्ध बैंक को 10-15 साल अवधि के लिए बिना ब्याज वाले पांच बॉन्ड जारी किए जाएंगे, जो 2030 से 2035 के बीच 14 दिसंबर को परिपक्व होंगे।
  • ये सांविधिक तरलता अनुपात की पात्रता वाले बॉन्ड नहीं हैं मगर फिर भी इस निवेश को अंकित मूल्य पर बैंक की हेल्ड टु मैच्योरिटी श्रेणी में माना जाएगा।
  • इन बॉन्डों को RBI के दिशा निर्देशों के अनुसार बैंक की परिपक्कव प्रतिभूतियों (Held- To-Maturity- HTM) की श्रेणी में शामिल किया जाता है।
  • ध्यातव्य है कि HTM प्रतिभूतियों को परिपक्वता अवधि तक के लिये खरीदा जाता है।

क्या होता है पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड

  • इस व्यवस्था के तहत सरकार उन बैंकों को बॉन्ड जारी करती है जिन्हें पूंजी की जरूरत है। संबंधित बैंक उस बॉन्ड को लेते हैं और उसके एवज में सरकार को पैसा मिलता है।
  • इस तरह सरकार को जो राशि प्राप्त होती है, उसे बैंक की इक्विटी पूंजी में डाला जाता है। इससे सरकार को वास्तव में अपनी जेब से कुछ भी नहीं देना पड़ता।
  • हालांकि, पुनर्पूंजीकरण बॉन्ड के रूप में बैंक जो राशि निवेश करते हैं, उस पर उन्हें ब्याज मिलता है। इससे सरकार को राजकोषीय घाटे को काबू में रखने में मदद मिलती है।
  • लेकिन पंजाब ऐंड सिन्ध बैंक में शून्य ब्याज वाले बॉन्ड के जरिये पूंजी डालने से बैंक को इन बॉन्डों के परिपक्व होने पर केवल 5,500 करोड़ रुपये मिलेंगे।

विशेष शून्य कूपन पुनर्पंूजीकरण बॉन्ड

  • इस बॉन्ड में केवल वे ही बैंक उनमें निवेश कर सकते हैं, जिन्हें इसके लिये निर्दिष्ट किया गया है, कोई और नहीं। साथ ही ये केंद्र सरकार द्वारा विशेष रूप से किसी संस्थान को जारी किये जाते हैं।
  • यह बॉन्ड न तो व्यापार योग्य है और न ही इनका हस्तांतरण किया जा सकता है। यह केवल एक विशिष्ट बैंक तक ही सीमित है तथा इन्हें एक निर्दिष्ट अवधि के लिये ही जारी किया जाता है।
  • निजी कंपनियों द्वारा जारी किए गए शून्य कूपन बॉन्ड सामान्य रूप से छूट पर जारी किए जाते हैं, लेकिन सरकार के शून्य कूपन बॉन्ड विशेष बॉन्ड होते हैं जो पारंपरिक नहीं होते हैं, क्योंकि ये अंकित मूल्य पर जारी किए जा सकते हैं।