यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाएं (Women in Science and Technology)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाएं (Women in Science and Technology)

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाएं (Women in Science and Technology)

चर्चा का कारण

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकेतक (एसटीआई), 2018 के आंकड़ों के अनुसार, भारत की निजी क्षेत्र की शोध कंपनियाँ सरकारी वित्त पोषित प्रमुख वैज्ञानिक एजेंसियों की तुलना में मुख्य अनुसंधान और विकास गतिविधियों में महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा नियोजित करती हैं।

पृष्ठभूमि

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकेतक (Science and Technology Indicators - STI), 2018 के अनुसार निजी क्षेत्र की R&D कंपनियों में कार्यरत 20,351 महिलाओं में से लगभग चार में से तीन "R&D गतिविधियां" में शामिल थी।
  • हालाँकि, प्रमुख वैज्ञानिक एजेंसीयों में कार्यरत 23,008 महिलाओंं में से आधी से कम या लगभग 10,138 'R&D गतिविधियों’ की श्रेणी में शामिल थीं।
  • कुल मिलाकर देखा जाय तो निजी क्षेत्र की कम्पनियाँं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती हैं कि कई सरकारी वैज्ञानिक संगठनों की तुलना में महिला वैज्ञानिकों को भर्ती, पदो नति और मूल्यांकन प्रक्रियाओं में काफी प्रतिनिधित्व दिया जाये।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं की कम भागीदारी के कारण

  • स्वतंत्र आयोगोंं और नीति आयोग द्वारा महिला वैज्ञानिकों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के कारणों का पता लगाने के लिए कई अध्ययन किए गए हैं। अध्ययन के अनुसार महिलाओंं पर परिवार चलाने के लिए सामाजिक दबाव अधिक होता है, जिससे वे पेशेवर कैरियर से दूर हो जाती हैं।
  • कई R&D गतिविधियों में महिलाओंं की नियुक्ति के सन्दर्भ में पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण भी देखने को मिलता है। साथ ही प्रशासक स्वयं कई बार निर्णय ले लेते हैं कि महिलाओं को R&D गतिविधियों में शामिल होने के वजाय अपने परिवार का विकल्प चुनना चाहिए।

सरकारी प्रयास

  • वैज्ञानिक शोध में महिलाओंं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहेे हैं, जिनमें वर्ष 2002 में शुरू की गई महिला वैज्ञानिक योजना प्रमुख है। इस योजना का उद्देश्य 27-57 वर्ष की उन महिला वैज्ञानिकों एवं प्रौद्योगिकीविदो को मुख्यधारा में लौटने के अवसर प्रदान करना है, जो पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपने करियर में पिछड ़ जाती हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अनुसंधान और विकास गतिविधियों में कार्यरत कुल 2.82 लाख लोगों में से 14 प्रतिशत महिलाएं हैं।
  • केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किरण योजना (KIRAN Scheme) की शुरुआत की गई। किरण के विभिन्न कार्यक्रम और घटक विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दो (करियर में बिखराव , मुख्य रूप से पारिवारिक जिम्मेदारियों, स्वरोजगार, अंशकालिक करियर, स्थानांतरण, आदि) के कारण महिला वैज्ञानिकों द्वारा करियर में डटकर सामना करने का सन्देश देते हैं।
  • महिला वैज्ञानिक योजना का उद्देश्य महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकविदो को विज्ञान और इंजीनियरिंग के प्रमुख क्षेत्रें में बुनियादी या अनुप्रयुक्त विज्ञान में अनुसंधान के लिए अवसर प्रदान करना है।
  • विज्ञान ज्योति छात्राओंं के लिए विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में अपने करियर को आगेे बढ़ाने के लिए एक समर्पित कार्यक्रम है। कार्यक्रम का उद्देश्य उच्च शिक्षा प्राप्त करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए छात्राओंं को प्रोत्साहित करना है और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली छात्राओंं को यह समझने में मदद करने की पेशकश करता है कि कैसे स्कूल से कॉलेज और उसके बाद? विज्ञान के क्षेत्र में शोध से नौकरी तक उनकी यात्र की योजना बनाई जाए।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकेतक

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकेतक को विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रबंधन सूचना प्रणाली के एक प्रभाग द्वारा तैयार किया गया है, और यह देश भर में कई वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों पर आधारित है। आगे की राह
  • विषमता, लैंगिक भेदभाव, शिक्षा तंत्र में लैंगिक भेदभाव को खत्म करने के लिए महिला वैज्ञानिकों के लिए अवसर पैदा करना और उच्च शिक्षा क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना जरूरी है।