यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: इंडो-पैसिफिक पर अमेरिका की रिपोर्ट (US Report on Indo-Pacific)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): इंडो-पैसिफिक पर अमेरिका की रिपोर्ट (US Report on Indo-Pacific)

इंडो-पैसिफिक पर अमेरिका की रिपोर्ट (US Report on Indo-Pacific)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में अमेरिकी सरकार ने इंडो-पैसिफिक पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी 2018 की संवेदनशील रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है। इस रिपोर्ट में अमेरिका की एशिया प्रशांत रणनीति की चर्चा की गयी है।

पृष्ठभूमि

  • गौरतलब है कि साल 2018 की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन ने 10 पन्ने की एक रिपोर्ट तैयार की थी।
  • रिपोर्ट में अमेरिका की वैश्विक रणनीति और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए कई पहलुओं का जिक्र है।
  • साथ ही इस रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि चीन से मुकाबला करने के लिए देशों से गठजोड़ करने की जरूरत है जो उदार अर्थव्यवस्था वाले हैं और अमेरिका के साथ मिलकर काम करते हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट में इंडो- पैसिफिक क्षेत्र के लिए ख़ास रणनीति बनाने पर जोर दिया गया है।
  • अमेरिका ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिपक्षीय सहयोग मजबूत करने पर जोर देने की बात कही थी।
  • रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि अमेरिका ने चीन की तुलना में भारत को हर तरह से मजबूत करने की रणनीति बनाई है। इसके पीछे अमेरिका का तर्क था कि कुछ अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ एक मजबूत भारत, चीन को सीमित दायरे में रखने में अहम भूमिका निभा सकता है।
  • भारत-चीन के बीच सीमा विवाद तक को सुलझाने के लिए अमेरिका ने भारत को सैन्य मदद देने की भी इच्छा जताई थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका और भारत के बीच इंटेलिजेंस शेयरिंग पर ख़ास ध्यान दिया गया है।
  • भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों (एनएसजी) के समूह में सदस्य बनाने की भी बात कही गई है। ध्यावत है कि अमेरिका के मजबूत समर्थन के बावजूद चीन के विरोध की वजह से भारत अभी तक एनएसजी का सदस्य नहीं बन पाया है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को मदद देने के पीछे अमेरिका का उद्देश्य एशिया में चीन के मुकाबले भारत को मजबूत बनाना है। जिससे शक्ति संतुलन बना रहे।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन से मुकाबला करने के लिए अमेरिका, भारत के साथ सैन्य, ख़ुफ़िया और राजनयिक समर्थन बढ़ाएगा साथ ही इसे एक ‘नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर’ के तौर पर आगे बढ़ाया जाएगा।

चीन की प्रतिक्रिया

  • चीन का मानना है कि दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी एशिया के देश पर्याप्त समझदार और सतर्क हैं, उन्हें अमेरिका अपने प्रभुत्व को कायम रखने के लिए हाईजैक नहीं कर सकता है।
  • अमेरिका अपनी दुर्भावना के कारण चीन को इस क्षेत्र में खतरे के तौर पर पेश कर रहा है।

निष्कर्ष

  • हालाँकि अभी भले अमेरिका और भारत में करीबी की बात कही जा रही है लेकिन ऐतिहासिक रूप से अमेरिका और भारत के रिश्ते बहुत सहज नहीं रहे हैं, दोनों देशों के संबंधों में पर्याप्त जटिलताएँ रही हैं।
  • शीत युद्ध के दौरान भारत ने अमेरिका के साथ शामिल होने से इनकार कर दिया था। भारत तब गुटनिरपेक्ष आंदोलन में शामिल था।
  • वर्तमान में भी भारत के लिए पूरी तरह से अमेरिका के साथ हो जाना इतना आसान भी नहीं है, क्योंकि रूस के साथ भारत की ऐतिहासिक दोस्ती रही है। जिसका संबंध अमेरिका के साथ कुछ ख़ास अच्छा नहीं है लेकिन चीन और रूस के संबंध बहुत अच्छे हैं।
  • अमेरिकी नेतृत्व को चुनौती देने के लिए अभी चीन और रूस एक मंच पर खड़े हैं, ऐसे में रूस नहीं चाहता है कि चीन के िखलाफ भारत अमेरिका के खड़ा शामिल हो जाए।