यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: जन जैव विविधता रजिस्टर (People’s Biodiversity Register)

चर्चा में क्यों?

  • जन जैव विविधता रजिस्टर पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) के अपडेशन और सत्यापन के लिए राष्ट्रीय अभियान 22 मई (विश्व जैव विविधता दिवस) को गोवा में शुरू किया गया।

लक्ष्य

  • इसका उद्देश्य मिशन लाइफ के तहत भारत के हर गांव में एक पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर स्थापित करना है।

इसका क्या अर्थ है?

  • पीबीआर किसी विशेष क्षेत्र या गांव के स्थानीय रूप से उपलब्ध जैव-संसाधन का एक व्यापक रिकॉर्ड है।
  • जैव-संसाधन में किसी भी क्षेत्र के सभी संसाधन और जनसांख्यिकी शामिल होते है।
  • यह जैव विविधता प्रबंधन समितियों द्वारा स्थानीय समुदायों के परामर्श से तैयार किया जाता है।

उद्देश्य

  • पीबीआर उचित सत्यापन के साथ, स्थानीय ज्ञान के औपचारिक रखरखाव के लिए एक व्यवस्था के रूप में डिजाइन किया गया है।
  • इसके अंतर्गत एक गांव या पंचायत में प्राकृतिक संसाधनों, पौधों और जानवरों, उनके उपयोग और संरक्षण के बारे में लोगों के ज्ञान, धारणा, दृष्टिकोण का भी रिकॉर्ड तैयार करना है।

भारत में पीबीआर की स्थिति

  • विभिन्न राज्यों में जैव विविधता प्रबंधन समितियों द्वारा 2,67,608 पीबीआर तैयार किए गए हैं।
  • वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भी पीबीआर को डिजिटलाइज (ई-पीबीआर) करने के लिए एक कार्यक्रम चला रहा है।
  • कोलकाता एक विस्तृत पीबीआर तैयार करने वाला पहला महानगरीय शहर बना है।

इसका महत्व क्या है?

  • पीबीआर भारत की समृद्ध जैव विविधता के प्रलेखन और संरक्षण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • यह स्थानीय लोगों के बौद्धिक संपदा अधिकारों और आनुवंशिक संसाधनों से प्राप्त लाभों के बीच की खाई को पाटने की दिशा में पहला कदम है।
  • यह जैव विविधता के बारे में पारंपरिक ज्ञान एकत्रित करता है और स्थानीय समुदायों को उन लाभों को साझा करने में सक्षम बनाता है।
  • यह मिशन LiFE (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) के दृष्टिकोण के अनुसार तैयार किया गया है।
  • यह पर्यावरण केंद्रित रणनीतियों के प्रदर्शन स्तर को ट्रैक करने के लिए एक मानक के रूप में भी कार्य करता है।

जैव विविधता प्रबंधन समिति (बीएमसी)

  • बीएमसी का गठन जैव विविधता अधिनियम 2002 के अनुसार किया गया है।
  • वे देश भर में स्थानीय निकायों द्वारा ‘संरक्षण, टिकाऊ उपयोग और जैविक विविधता के प्रलेखन को बढ़ावा देने’ के लिए बनाए गए हैं।
  • इनका गठन राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में स्थानीय निकायों द्वारा किया गया है।
  • उन्हें स्थानीय समुदायों के परामर्श से पीबीआर तैयार करने का काम सौंपा गया है।
  • इसका नेतृत्व स्थानीय निकाय द्वारा नामित एक अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
  • समिति के सदस्य 6 व्यक्तियों से अधिक नहीं हो सकते हैं, जिसमें 1/3 और 18% क्रमशः महिलाओं और एससी/एसटी से संबंधित होने चाहिए।

पीबीआर का भविष्य

पीबीआर के राष्ट्रीय अभियान निम्नलिखित क्षेत्रों में सहायता करेंगेः

  • आवास परिवर्तन का पता लगाना।
  • बायोपायरेसी को रोकना।
  • सांस्कृतिक और प्राकृतिक जैव विविधता के ओवरलैप को समझना।
  • कार्यकारी अभ्यास में समावेशी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।