यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन की रिपोर्ट (Lancet Countdown Report on Health and Climate Change)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन की रिपोर्ट (Lancet Countdown Report on Health and Climate Change)

स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन की रिपोर्ट (Lancet Countdown Report on Health and Climate Change)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार यदि सदस्य देश पेरिस समझौते के अनुरूप योजनाएं अपनाते हैं तो जन स्वास्थ्य पर बेहद सकारात्मक असर हो सकते हैं।

परिचय

  • इस अध्ययन में नौ देशों पर शोध किया गया है और ये वो देश हैं जो दुनिया की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं और 70 फीसद कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
  • यह देश हैं ब्राजील, चीन, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका।
  • शोध में शामिल सभी नौ देशों के बीच, पेरिस समझौते के अनुरूप परिदृश्य बनने पर जहाँ 5.8 मिलियन लोगों की जान बेहतर खुराक मिलने से बच सकती है, वहीं स्वच्छ हवा और व्यायाम के साझा असर से 2.4 मिलियन जीवन बेहतरीन कर सकते हैं। शोध में पाया गया है कि सभी देशों को आहार में सुधार से सबसे अधिक लाभ होता है।
  • पेरिस हस्ताक्षरकर्ता देश इस वर्ष COP26 से पहले अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों को बेहतर और संशोधित कर रहे हैं क्योंकि तय कार्यक्रम के अनुसार उन्हें इसका प्रस्तुतीकरण पिछले साल करना था और वर्तमान में, यह राष्ट्रीय लक्ष्य इतने मजबूत नहीं कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।
  • ध्यातव्य है कि अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जोसेफ बाइडेन ने भी पेरिस जलवायु समझौते में, फिर से शामिल होने की घोषणा की है।

पेरिस जलवायु समझौता

  • पेरिस जलवायु समझौता सदस्य देशों के लिये, कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अन्तरराष्ट्रीय सन्धि है।
  • ये समझौता वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप-21) के दौरान, 196 पक्षों की ओर 12 दिसम्बर को पारित किया गया था।
  • 4 नवम्बर 2016 को यह समझौता लागू हो गया था।
  • पेरिस समझौते का लक्ष्य औद्योगिक काल के पूर्व के स्तर की तुलना में वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है, और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये विशेष प्रयास किये जाने हैं।
  • तापमान सम्बन्धी इस दीर्घकालीन लक्ष्य को पाने के लिये देशों का लक्ष्य, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के उच्चतम स्तर पर जल्द से जल्द पहुँचना है ताकि उसके बाद, वैश्विक स्तर पर उसमें कमी लाने की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
  • इसके जरिये 21वीं सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता (नेट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है। जलवायु कार्रवाई के लिये बहुपक्षीय प्रक्रिया में पेरिस समझौता एक अहम पड़ाव है।

पेरिस समझौते का क्रियान्वयन

  • पेरिस समझौता पाँच-वर्षीय चक्र पर केन्द्रित है, जिसके तहत देश महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई का दायरा बढ़ाते जाते हैं।
  • वर्ष 2020 तक देशों ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में कटौती करने के लिये अपनी योजनाएँ पेश की हैं, ताकि पेरिस समझौते में निर्धारित लक्ष्य हासिल किये जा सकें, इसे राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contributions (NDCs) कहा जाता है।
  • वहीं दीर्घकालीन लक्ष्यों की दिशा में प्रयासों को बेहतर ढंग से संगठित करने के लिये, पेरिस समझौते में देशों को कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिये अपनी रणनीतियों के बारे में जानकारी साझा करने के लिये आमन्त्रित किया गया है, इस रणनीति को Long-term low greenhouse gas emission development strategies (LT-LEDS) नाम दिया गया है।
  • LT-LEDS के जरिये राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं से, लम्बे समय बाद होने वाले असर को क्षितिज पर, यानि व्यापक दायरे में देखने का उद्देश्य रखा गया है, लेकिन एनडीसी की तरह वे अनिवार्य नहीं हैं।