यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि एवं प्रभाव (Impact of Crude Oil Prices)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि एवं प्रभाव (Impact of Crude Oil Prices)

कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि एवं प्रभाव (Impact of Crude Oil Prices)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में ब्रेंट क्रूड (कच्चे तेल) की पैदावार करने वाले देशों की ओर से उत्पादन में कटौती और वैश्विक मांग में सुधार की उम्मीदों के चलते ब्रेंट क्रूड की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई। जानकारों का मानना है कि कोरोना के खिलाफ टीकाकरण शुरू होने से कच्चे तेल की मांग बढ़ने के आसार हैं।

कच्चे तेल की कीमत क्यों तेजी से बढ़ी है?

  • तेल उत्पादक देशों के संगठन OPEC के उत्पादन में कटौती करने और सबसे बड़े निर्यातक सऊदी अरब द्वारा अतिरिक्त आपूर्ति में कटौती करने की वजह से कच्चे तेल में तेजी आई है।
  • इसके साथ ही COVID-19 के टीके प्रभावी होने से इस बात की संभावना अब बढ़ती जा रही है कि सब कुछ ठीक-ठाक चलने लगा तो तेल की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि सब कुछ खुल जाने के बाद तेल ईंधन की खपत बड़ जाएगी। उसके बाद कच्चे तेल की मांग में सुधार आएगा।

ओपेक देशों का रुख

  • तेल उत्पादक देशों यानी ओपेक का तेल उत्पादन दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतें तय करने का एक प्रमुख कारक है क्योंकि इन्हीं देशों के अतिरिक्त तेल उत्पादन से तेल की कीमतों में स्थिरता लाई जा सकती है। अगर इन देशों की अतिरिक्त तेल उत्पादन क्षमता सीमित ही रहती है, तो इससे तेल की कीमतों में उछाल आता है।

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का भारत पर असर

  • कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का असर भारत में पेट्रोल-डीजल के भावों पर देखा जा रहा है। पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इस बढ़ोतरी के बाद तेल की कीमतें ऐतिहासिक स्तर पर चली गई हैं।
  • भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का 80% हिस्सा आयात करता है और भारत में जनवरी 2021 से कच्चे तेल की कीमत 54.8 डॉलर प्रति बैरल तक हो गई है। विश्लेषकों के मुताबिक तेल की कीमतों में वृद्धि से देश के आयात बिल में बढ़ोतरी होगी, जिससे चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) बढ़ जाएगा।
  • विश्लेषकों के मुताबिक तेल महंगा होने से भारत का विदेशी मुद्रा बहिर्गमन (वितमपहद मगबींदहम वनजहव) ज्यादा होगा और रुपये में गिरावट आ सकती है जो कोरोनावायरस संकट की वजह से पहले से ही कमजोर हुआ है।
  • पिछले कुछ महीनों से मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी देखी जा रही है, जो कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से और बढ़ सकती है।

ब्रेंट क्रूड क्या है?

  • भारत जिस कच्चे तेल का आयात करता है, वह ब्रेंट क्रूड है क्योंकि भारत मुख्यतः गल्फ देशों से तेल आयात करता है जहाँ पर कच्चे तेल का बेंचमार्क ब्रेंट ही होता है।
  • प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले अपरिष्कृत तेल को क्रूड ऑयल कहते हैं- क्रूड ऑयल काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है अर्थात यह एक तरह का डार्क हाइड्रोकार्बन पदार्थ है जो कि विश्व में जमीन और समुद्र के अंदर पाया जाता है। इस क्रूड ऑयल को बाहर निकालने के बाद मशीनों से परिस्कृत किया जाता है, जिसमें पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, नेचुरल गैस,ल्यूब्रिकेंट और वेसलीन आदि प्राप्त होता है।

ब्रेंट क्रूड ऑइल और WTI क्रूड ऑइल बेंचमार्क में अंतर

  • ब्रेंट क्रूड ऑयल को नार्वे और यूनाइटेड किंगडम के पास नॉर्थ सी से निकाला जाता है जबकि WTI बेंचमार्क वाले तेल को अमेरिकी तेल के कुओं से निकाला जाता है।
  • ब्रेंट क्रूड का मूल्य पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) द्वारा उपयोग किया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क मूल्य है, जबकि डब्ल्यूटीआई क्रूड मूल्य अमेरिकी तेल की कीमतों के लिए एक बेंचमार्क है।
  • ब्रेंट क्रूड ऑयल का वायदा कारोबार मुख्य रूप से लंदन में इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (ICE) में किया जाता है, जबकि WTI का वायदा कारोबार न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज (NYMEX) में किया जाता है।