यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report)

चर्चा में क्यों?

  • रिजर्व बैंक ने हाल ही में वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) का 26वां अंक जारी किया। रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति द्वारा किए गए वित्तीय स्थिरता और वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन तथा जोखिमों के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाती है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंद

1. लड़खड़ाती वैश्विक अर्थव्यवस्थाः

  • कई झटकों के परिणामस्वरूप वित्तीय स्थिति जटिल हो गई है और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है।
  • डब्ल्यूटीओ के गुड्स ट्रेड बैरोमीटर से पता चलता है कि वैश्विक व्यापार की मात्रा वर्ष की दूसरी छमाही में धीमी रही है।
  • मंदी आयात मांग में कमी और ऑटोमोबाइल और सेमीकंडक्टर जैसे व्यापक रूप से कारोबार वाले सामानों के उत्पादन और आपूर्ति को बाधित करने के संयोजन को दर्शाती है।
  • बाल्टिक ड्राई इंडेक्स, जो थोक वस्तुओं के लिए शिपिंग शुल्क का एक उपाय है और जिसने अक्टूबर 2021 में अपने उच्चतम स्तर को पार कर गया था, उसमें अक्टूबर के बाद अचानक गिरावट दर्ज की गई।

2. बैंक ऋण वृद्धिः

  • रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग स्थिरता संकेतक (बीएसआई), जो भारत के वाणिज्यिक बैंकों की अंतर्निहित स्थितियों और जोखिम कारकों में बदलाव को इंगित करता है, ने सुदृढ़ता, संपत्ति की गुणवत्ता, तरलता और लाभप्रदता मापदंडों में सुधार दिखाया है।
  • विकास दर, अभी भी आदर्श स्तर से बहुत दूर है। खुदरा ऋण में संतोषजनक वृद्धि हुई है, परन्तु थोक ऋण वृद्धि में संघर्ष जारी है।
  • अधिकांश थोक ऋण सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा लिया जा रहा है, जबकि निजी क्षेत्र नए सिरे से धन जुटाने से पीछे हट रहा है।

3. गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां:

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात 5.0 प्रतिशत के सात साल के निचले स्तर पर आ गया है तथा शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NNPA) घटकर दस साल के निचले स्तर 1.3 प्रतिशत पर आ गया हैं।

रिपोर्ट के बारे में

  • वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट देश की वित्तीय स्थिरता की स्थिति बताती है और वित्तीय क्षेत्र के सभी नियामकों जैसे बैंकों आदि के योगदान को ध्यान में रखकर तैयार की जाती है।
  • इसके अलावा, यह क्रेडिट ग्रोथ और नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स की स्थिति के बारे में सूचित करती हैं।
  • आरबीआई, वैश्विक तथा घरेलू अर्थव्यवस्था की स्थिति जैसे कई पहलुओं की जांच करता है, और यह परीक्षण करता है कि अगर अर्थव्यवस्था उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ती है तो वेरिएबल कैसे प्रतिक्रिया देंगे।
  • रिपोर्ट वर्ष में दो बार प्रकाशित की जाती है, और इसके एक भाग के रूप में आरबीआई व्यवस्थित जोखिम सर्वेक्षण भी आयोजित करता है।

आगे की राह

  • हालिया एफएसआर रिपोर्ट बताती है कि भारत के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में जुलाई के आकलन 2021 से काफी सुधार हुआ है।
  • हालांकि, ऑमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण के साथ-साथ धीमी वैश्विक वृद्धि, विकसित देशों में मौद्रिक तंगी (जिससे विदेशी मौद्रिक प्रवाह में बाधा आने की संभावना है) अभी भी एक चिंता का विषय बना हुआ है।