यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: सोने की कीमतों में गिरावट (Falling Gold Prices in Pandemic)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): सोने की कीमतों में गिरावट (Falling Gold Prices in Pandemic)

सोने की कीमतों में गिरावट (Falling Gold Prices in Pandemic)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में भारत में सोने की कीमतें, जो बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों के साथ मिलकर चलती हैं, में तेजी से गिरावट आई है। भारत में सोने की कीमतें लगभग 5,000 प्रति 10 ग्राम तक गिर गई हैं जबकि चांदी 14,000 प्रति किलोग्राम गिर गई है।

पृष्ठभूमि

  • वैश्विक वित्तीय बाजारों में अशांति के समय में सोना आमतौर पर एक सुरक्षित परिसंपति के रूप में देखा जाता है और ऐसे समय में सोने की कीमतों में तेजी भी आती है। उदाहरणस्वरूप -
  • 1979 में कई युद्ध हुए और उस साल सोना करीब 120 फीसदी वृद्धि पर था। अभी हाल ही में 2014 में सीरिया पर अमेरिका का खतरा मंडरा रहा था तो भी सोने के दाम आसमान छूने लगे थे। इसके अलावा जब ईरान से अमेरिका का तनाव बढ़ा या फिर जब चीन-अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर की स्थिति बनी, तब भी सोने की कीमत बढ़ी।
  • वर्तमान में कोरोनोवायरस महामारी के समय में भी सोना एक पसंदीदा सुरक्षित परिसंपत्ति वर्ग के रूप में सामने आया था, जिसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की, साथ ही केंद्रीय बैंकों और सरकारों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन करने के लिए प्रेरित किया।

सोने की कीमतों में गिरावट का कारण

  • हाल ही में वैश्विक बाजारों में भी सोने की कीमतों में 4% की गिरावट आई। इस गिरावट का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा है। कुछ विशेषज्ञों द्वारा इसका कारण रूस द्वारा की गयी दुनिया के पहले कोविड वैक्सीन की घोषणा को बताया जा रहा है।
  • इसके अलावा अन्य कारणों में अमेरिका-चीन के बढ़ते तनाव और डॉलर में तेजी भी शामिल है। इसकी वजह से सोने के व्यापारी न केवल सचेत होकर चल रहे हैं बल्कि बहुत से लोग अब सोने में मुनाफावसूली भी करने लगे हैं।

सोने की कीमतों में गिरावटः भारत पर प्रभाव

  • वाणिज्य मंत्रलय के आंकड़ों के अनुसार देश में सोने का आयात चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 94 प्रतिशत घटकर 68.8 करोड़ डॉलर या 5,160 करोड़ रुपये पर आ गया।
  • भारत में कोविड-19 महामारी की वजह से सोने की मांग में गिरावट आई है, जिससे सोने का आयात भी नीचे आ गया है।

भारत में सोने की कीमत को प्रभावित करने वाले कारक

  • उपभोग की मांगः भारत में सोने की मांग संस्कृति, परंपरा, सुंदरता और वित्तीय सुरक्षा की इच्छा से जुड़ी हुई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) द्वारा कमीशन वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के एक अध्ययन के अनुसार, भारतीय उपभोक्ता सोने को निवेश और शृंगार दोनों के रूप में देखते हैं।
  • अर्थव्यवस्था में अस्थिरताः इसके अलावा लोग खुद को अस्थिरता और अनिश्चितता से बचाने के लिए सोने का निवेश या खरीदना चाहते हैं। अच्छे व बुरे समय में निवेशकों के लिए एक संपत्ति के रूप में सोना हमेशा आकर्षण का केंद्र रहता है।
  • मुद्रास्फीतिः जब मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है और इसलिए लोग सोने के रूप में पैसा जमा करते हैं। इसलिए, ऐसे समय में जब मुद्रास्फीति लंबी अवधि तक अधिक रहती है तो सोना मुद्रास्फीति की स्थिति के ख़िलाफ़ बचाव का साधन बन जाता है। इससे मुद्रास्फीति की अवधि में सोने की कीमतें अधिक हो जाती हैं।
  • मानसूनः ग्रामीण मांग देश में सोने की मांग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जो मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर करती है, क्योंकि अगर फसल अच्छी होती है, तो किसान संपत्ति बनाने के लिए अपनी कमाई से सोना खरीदते हैं। इसके विपरीत, यदि मानसून में कमी होती है, तो किसान धन उत्पन्न करने के लिए सोना बेचते हैं।
  • रूपये-डॉलर का संबंधः भारतीय सोने की दरों में रुपये-डॉलर के समीकरण की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, हालांकि यह वैश्विक सोने की कीमतों को प्रभावित नहीं करता है। सोना बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है और इसलिए यदि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है, तो, रुपये में कमी से देश में सोने की मांग में कमी आ सकती है।
  • आपूर्ति में कमीः कुछ अनुमानों के मुताबिक, सोने की वैश्विक मांग आपूर्ति की तुलना में 1,000 टन अधिक है। नई खनन क्षमता नहीं होने के कारण, अधिकांश सोने को पुनर्नवीनीकरण किया जा रहा है। इसलिए, सोने की दरों में बदलाव के लिए आपूर्ति का कम होना एक अन्य कारक है