यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: प्रवासी श्रमिकों का डेटाबेसः एक नजर (Database of Migrant Workers: At a Glance)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): प्रवासी श्रमिकों का डेटाबेसः एक नजर (Database of Migrant Workers: At a Glance)

भारत का प्रथम कार्यस्थल समानता सूचकांक (India's First Workplace Equality Index)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में भारत सरकार ने देश भर के सभी प्रवासी श्रमिकों का एक डेटाबेस बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें अनौपचारिक क्षेत्र के प्रवासी श्रमिक भी शामिल होंगे।

पृष्ठभूमि

  • विदित हो कि अपने मूल निवास स्थान से दूर परन्तु आंतरिक (देश के भीतर) अथवा अंतर्राष्ट्रीय (विभिन्न देशों में) सीमाओं के पार लोगों की आवाजाही को प्रवासन कहते हैं। अब तक भारत में प्रवासन से संबंधित आँकड़ों के लिये वर्ष 2011 की जनगणना का प्रयोग किया जाता है।
  • जनगणना के आँकड़ों की मानें तो भारत में वर्ष 2011 में कुल 45.6 करोड़ (कुल जनसंख्या का 38 प्रतिशत) प्रवासी थे, जबकि वर्ष 2001 की जनगणना में यह संख्या 31.5 करोड़ (कुल जनसंख्या का 31 प्रतिशत) थी।
  • प्रवासन एक वैश्विक घटना है, जो न केवल आर्थिक कारकों से, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे कई अन्य कारकों से भी प्रभावित होती है।
  • वर्ष 2011 तक उत्तर प्रदेश और बिहार अंतर्राज्यीय प्रवासियों के सबसे बड़ा स्रोत थे, जबकि महाराष्ट्र और दिल्ली प्रवासियों के सबसे बड़े अभिग्राही (Receiver) राज्य थे।

डेटा की आवश्यकता क्यों?

  • अंतर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम-1979 में प्रवासी श्रमिकों को नियुत्तफ़ करने वाले सभी प्रतिष्ठानों का पंजीकृत होना अनिवार्य किया गया है, साथ ही प्रवासी श्रमिकों को काम देने वाले ठेकेदारों के लिये भी लाइसेंस लेना आवश्यक है।
  • यदि इस कानून का सही ढंग से कार्यान्वयन किया जाये तो इसके माध्यम से अलग-अलग राज्यों में कार्यरत प्रवासी श्रमिकों से संबंधित डेटा आसानी से उपलब्ध हो सकता है। परन्तु इस कानून का सही ढंग से कार्यान्वयन न होने के कारण केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के पास प्रवासी श्रमिकों से संबंधित कोई भी विस्तृत रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

श्रमिकों की आजीविका के लिये सरकार के हालिया प्रयास

  • कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रलय ने कुशल श्रमिकों को आजीविका के अवसर खोजने में सहायता प्रदान करने के लिये ‘असीम पोर्टल’ लॉन्च किया है।
  • असीम पोर्टल का पूरा नाम आत्मनिर्भर कुशल कर्मचारी-नियोक्ता मानचित्रण है। भारत के विभिन्न राज्यों से अपने घरों को वापस लौटे श्रमिकों तथा वंदे भारत मिशन के तहत स्वदेश लौटे भारतीय नागरिकों, जिन्होंने ‘कौशल कार्ड’ में पंजीकरण कराया है, के डेटाबेस को भी इस पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है।
  • महाराष्ट्र सरकार ने महामारी के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक अनिश्चितता को देखते हुए रोजगार की तलाश कर रहे लोगों और नियोक्ताओं के लिये ‘महाजॉब्स’ नाम से एक पोर्टल लॉन्च किया है।
  • आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गयी है। यह योजना स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने और औद्योगिक इकाइयों के साथ साझेदारी कर 1.25 करोड़ ऐसे प्रवासी कामगारों को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर जोर देती है, जिन्होंने कोरोना वायरस महामारी के कारण रोजगार खो दिया है।
  • राज्य सरकार ने पहले ही श्रमिकों के कौशल के मानचित्रण का कार्य पूरा कर लिया है, ताकि उनकी विशेषज्ञता के अनुसार उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
  • उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ‘प्रवासन आयोग’ के गठन को मंजूरी दी है, जिसे मुख्यतः प्रवासी श्रमिकों के कौशल का मानचित्रण और श्रमिकों का कल्याण सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया है।

निष्कर्ष

  • हालाँकि इन डेटाबेस को लेकर हो रही संपूर्ण वार्ता अंतर्राज्यीय प्रवासन पर ही केंद्रित है, जबकि आतंरिक-राज्य प्रवासन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में प्रवासियों के दोनों समूहों को शामिल
    करने के लिये डेटाबेस के दायरे का विस्तार करने की आवश्यकता है।
  • कोरोना वायरस जैसी महामारी को ध्यान में रखकर प्रवासी श्रमिकों और अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों का एक विस्तृत डेटाबेस बनाना काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है।