यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: कोविड 19 महामारी और कृषि क्षेत्र (COVID-19 Epidemic and Agricultural Sector)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): कोविड 19 महामारी और कृषि क्षेत्र (COVID-19 Epidemic and Agricultural Sector)

कोविड 19 महामारी और कृषि क्षेत्र (COVID-19 Epidemic and Agricultural Sector)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में भारत सरकार के वित्त मंत्रलय द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में बेहतर मानसून की संभावना को देखते हुए कृषि क्षेत्र कोरोना वायरस से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

प्रमुख बिन्दु

  • औद्योगिक संगठन फिक्की के इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश में कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.7 फीसद रह सकती है।
  • भारत का खाद्यान्न उत्पादन प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है किन्तु चीन, ब्राजील और अमेरिका जैसे बड़े कृषि उत्पादक देशों की तुलना में भारत की कृषि उपज (यानी प्रति हेक्टेयर जमीन में उत्पादित होने वाली फसल की मात्र) कम है।
  • जनवरी, 2020 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार भी वर्ष 2019-20 में कृषि विकास दर का अनुमान 2-8% ही जताया गया था। अगर कोरोना संकट ऐसे ही जारी रहा तो कृषि विकास दर एक बार पुनः नकारात्मक हो सकती है।

कोविड 19 महामारी का कृषि क्षेत्र पर प्रभाव

  • भारत की आधे से अधिक जनसंख्या अभी भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि और इससे सम्बद्ध क्षेत्रें पर निर्भर है। इसलिए इससे जुड़ी जनता कोविड-19 महामारी से काफी अधिक प्रभावित हुई है।
  • रिवर्स माइग्रेशन यानी शहरों से ग्रामीण क्षेत्र में पलायन के कारण कृषि क्षेत्र पर आजीविका के लिए अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा। कृषि आधारित उद्योगों के उत्पादों के लिए आपूर्ति- शृंखला (सप्लाई चेन) लॉकडाउन की वजह से प्रभावित हुई । इसके अलावा होटल, रेस्टोरेंट आदि के बंद होने से कृषि उत्पाद की मांग में कमी आई साथ ही कृषि सहायक गतिविधिया फूल, पोल्ट्री, मत्स्यिकी इत्यादि भी प्रभावित हुए।
  • कोविड 19 महामारी के कारण कृषि आगतों जैसे वित्त, उर्वरक, कीटनाशक, कृषि मशीनरी इत्यादि से जुड़ें गतिविधियों में आपूर्ति संबंधी समस्या देखी गयी है।

कोविड-19 महामारी में सरकारी पहल

  • कोविड-19 संकट के दौरान भारत सरकार ने अपने विभिन्न मंत्रलयों के माध्यम से कृषि क्षेत्र के लिए मध्यम और दीर्घकालिक समाधान सहित विभिन्न राहत उपायों की घोषणा की है। सरकार ने कहा है कि किसान और खेतिहर मजदूरों द्वारा लॉकडाउन के दौरान भी खेती के कार्यों का संचालन जारी रहेगा। फार्म मशीनरी से संबंधित कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) के संचालनों में भी ढील दी गई।
  • कृषि मशीनरी और इनके स्पेयर पार्ट्स (आपूर्ति श्रृंखला सहित) और मरम्मत की दुकानें खुली रहेंगी। कटाई और बुवाई से संबंधित मशीनों जैसे कंबाइन हार्वेस्टर और अन्य कृषि / बागवानी उपकरणों की निर्बाध, अंतर और अंतर्राज्यीय आवाजाही को सुनिश्चित किया गया था।
  • सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान किसानों को भौतिक रूप से थोक मंडियों में जाये बिना अपनी उपज बेचने में मदद करने के लिए ई-एनएएम प्लेटफॉर्म (e-NAM platform) पर नई सुविधाएँ शुरू की हैं।
  • एफपीओ ट्रेडिंग मॉडड्ढूल (FPO trading module) में व्यवस्था की गयी है जिससे किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) अपनी उपज को कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) तक लाए बिना एक संग्रह केंद्र (collection centre) पर बेच सकते हैं।
  • भारत सरकारा द्वारा हाल ही में कृषि क्षेत्र से संबन्धित दो अध्यादेश भी लाये गए हैं-
  • किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश, 2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce Ordinance 2020)
  • मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसानों का समझौता अध्यादेश, 2020 (The Farmers Agreement on Price Assurance and Farm Services Ordinance 2020) इन अध्यादेशों की मदद से किसान पूरे देश में कहीं भी अपनी फसल अचित दामों में आसानी से बेंच सकते हैं।
  • ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) मोटो के तहत भारत सरकार ने वर्ष 2023-24 तक पूरे देश में लगभग 10000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना का लक्ष्य रखा है।

आगे की राह

  • कृषि क्षेत्र में संरचनात्मक अवरोध को हटाये जाने की आवश्यकता है। इसके लिए उत्पादों के भंडारण और क्रय-विक्रय केंद्रों की व्यवस्था करते हुए कृषि को एक लाभप्रद व्यापार के रूप में बदलने में की आवश्यकता है जिससे एक बड़ी आबादी गांव में ही रुक जाए एवं कृषि क्षेत्र की संभावनाओं का पूर्ण दोहन किया जा सके।