यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (विषय: बायोइथेनॉल सम्मिश्रण (Bioethanol Blending)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): बायोइथेनॉल सम्मिश्रण (Bioethanol Blending)

बायोइथेनॉल सम्मिश्रण (Bioethanol Blending)

चर्चा का कारण

  • भारत सरकार ने कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने और आयातित कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिए इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (ethanol blending programme) के तहत 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत बायोइथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा है जिसे 2030 तक बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करना है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 में जैव ईंधनों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। इसके तहत प्रथम पीढ़ी के जैव ईंधन में शीरे से बनाए गए इथेनॉल के कुछ गैर खाद्य तिलहनों से तैयार जैव डीजल, दूसरी श्रेणी यानी विकसित जैव ईंधनों में शहरी ठोस कचरे (एमएसडब्लू ) से तैयार इथेनॉल तथा तीसरी श्रेणी के जैव ईंधन में जैव सीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है ताकि प्रत्येक श्रेणी में उचित वित्तीय के आर्थिक प्रोत्साहन बढ़ाया जा सके।
  • इस नीति में राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति की मंजूरी से इथेनॉल उत्पादन के लिए पेट्रोल के साथ उसे मिलाने के लिए अतिरिक्त अनाजों के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है।

आवश्यकता क्यों

  • विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमत में उतार चढ़ाव होता रहता है। इस तरह के उतार चढ़ाव दुनिया भर की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में, विशेष रूप से विकासशील देशों पर दबाव डाल रहे हैं।
  • वर्तमान में परिवहन ईंधन की 72% अनुमानित मांग केवल डीजल और इसके बाद पेट्रोल 23% और शेष अन्य ईंधन जैसे सीएनजी,एलपीजी इत्यादि पूरा करते हैं जिसकी मांग लगातार बढ़ रही है ।
  • भारत में जैव ईंधनों का रणनीतिक महत्व है, क्योंकि ये सरकार की वर्तमान पहलों मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, कौशल विकास के अनुकूल है और किसानों की आमदनी दोगुनी करने, आयात कम करने, रोजगार सृजन, कचरे से धन सृजन के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को जोड़ने का अवसर प्रदान करता है। भारत का जैव ईंधन कार्यक्रम जैव ईंधन उत्पादन के लिए फीडस्टॉक की दीर्घकालिक अनुप्लब्धता और परिमाण के कारण बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है।

इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम

  • वत र्मान में, भारत में 5 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडेड ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है। इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (इ र्बीपी) कार्यक्रम 2003 में शुरू किया गया था।
  • इथेनॉल एक इको फ्रेंडली ईंधन है जिसका निर्माण गन्ने के रस से किया जाता है। इथेनॉल का निर्माण चीनी मिलों में किया जाता है। यह नॉनटॉक्सिक, बायोडिग्रेडेबल है साथ ही सँभालने में आसान, स्टोर के ट्रांसपोर्टर के लिए सुरक्षित है। यह एक ऑक्सीजनयुक्त ईंधन है जिसमें 35 फीसदी ऑक्सीजन होती है। इथेनॉल के इस्तेमाल से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आती है। यही कारण है कि सरकार पेट्रोल के स्थान पर इथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है।
  • जैव ईंधनों को ‘आधारभूत जैव ईंधनों’यानी पहली पीढ़ी (1जी) जैव एथनॉल के जैव डीजल तथा ‘विकसित जैव ईंधनों’-दूसरी पीढ़ी (2जी) निगम के ठोस कचरे (एमएसडब्लू) से लेकर ड्राप-इन ईंधन, तथा तीसरी पीढ़ी (3जी) के जैव ईंधन, जैव सीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है ताकि प्रत्येक श्रेणी में उचित वित्तीय और आर्थिक प्रोत्साहन बढ़ाया जा सके।

संभावित लाभ

  • फसल जलाने में कमी लाने और कृषि संबंधी अवशिष्ट/कचरे को जैव ईंधनों में बदलकर ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में और कमी आएगी।
  • इस्तेमाल हो चुका खाना पकाने का तेल जैव ईंधन के लिए संभावित फीडस्टॉक हो सकता है और जैव ईंधन बनाने के लिए इसके इस्तेमाल से खाद्य उद्योगों में खाना पकाने के तेल के दोबारा इस्तेमाल से बचा जा सकता है।
  • 2जी प्रौद्योगिकियों को अपना कर कृषि संबंधी अवशिष्टों/ कचरे को इथेनॉल में बदला जा सकता है और यदि इसके लिए बाजार विकसित किया जाए तो कचरे का मूल्य मिल सकता है जिसे अन्यथा किसान जला देते हैं। साथ ही, अतिरिक्त उत्पादन चरण के दौरान उनके उत्पादों के लिए उचित मूल्य नहीं मिलने का खतरा रहता है। अतः अतिरिक्त अनाजों को परिवर्तित करने और कृषि बॉयोमास मूल्य स्थिरता में मदद कर सकते हैं।