यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: नागालैंड में अफस्पा (AFSPA in Nagaland)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): नागालैंड में अफस्पा (AFSPA in Nagaland)

नागालैंड में अफस्पा (AFSPA in Nagaland)

चर्चा का कारण

  • हाल ही में गृह मंत्रलय ने नागालैंड को सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम-अफस्पा (Armed Forces (Special Powers) Act - AFSPA।) के तहत अगले छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है। केंद्र सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य की सीमा के भीतर ऐसी अशांत और खतरनाक (disturbed and dangerous condition) स्थिति है, जिससे वहां नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का प्रयोग करना आवश्यक है।

प्रमुख बिन्दु

  • केंद्र सरकार के अनुसार यह फैसला इसलिए किया गया क्योंकि राज्य के विभिन्न हिस्सों में हत्याएं, लूट और जबरन वसूली जारी है।
  • सरकार ने इसके लिए सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 की संख्‍या 28 की धारा तीन द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों को आधार बनाया है।

क्या है अशांत क्षेत्र?

  • अशांत क्षेत्र घोषित करने का अधिकार भी अफस्पा कानून के तहत ही आता है। अशांत क्षेत्र घोषित करने का अधिकार केंद्र सरकार, राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल के पास होता है। वो किसी इलाके, किसी जिले या पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकते हैं। इसके लिए भारत के राजपत्र पर एक अधिसूचना निकालनी होती है।
  • यह अधिसूचना अफस्पा कानून की धारा 3 के तहत होती है। इस धारा में कहा गया है कि नागरिक प्रशासन के सहयोग के लिए सशस्त्र बलों की आवश्यकता होने पर किसी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
  • किसी क्षेत्र विशेष में AFSPA तभी लागू किया जाता है जब राज्य या केंद्र सरकार उस क्षेत्र को "अशांत क्षेत्र कानून" अर्थात डिस्टर्बड एरिया एक्ट (Disturbed Area Act) घोषित कर देती है। AFSPA कानून केवल उन्हीं क्षेत्रों में लगाया जाता है जो कि अशांत क्षेत्र घोषित किये गए हों। इस कानून के लागू होने के बाद ही वहां सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं।

सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम क्या है?

  • 1950 के दशक में पूर्वोत्तर के राज्यों में उग्रवाद की बढ़ती घटनाओं के चलते 1958 में तत्कालीन सरकार ने सैन्य बलों को शक्ति देने वाला एक कानून बनाया था। इस कानून का नाम सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून 1958 है।
  • अफस्पा कानून में सेना को अधिक शक्तियां दी गई हैं। अफस्पा लागू होने पर सेना कहीं भी पांच या पांच से अधिक लोगों के इकठ्ठा होने पर रोक लगा सकती है। सेना के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार होता है। साथ ही चेतावनी का उल्लंघन करने पर गोली मारने तक का अधिकार सेना के पास होता है।
  • सेना किसी के भी घर में बिना वारंट तलाशी ले सकती है। हालांकि अफस्पा के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सेना को नजदीकी पुलिस स्टेशन को सौंपना होता है। उसकी गिरफ्तारी के कारण बताने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट भी देनी होती है।

अफस्पा का विरोध क्यों?

  • कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सुरक्षा बलों के पास बहुत ही दमनकारी शक्तियां हैं जिनका सशस्त्र बल दुरूपयोग करते हैं। फर्जी एनकाउंटर, यौन उत्पीड़न आदि के मामले इसके सबूत हैं।
  • यह कानून मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। इसके अतिरिक्त इस कानून की तुलना अंग्रेजों के समय के "रौलट एक्ट" से की जा सकती है क्योंकि इसमें भी किसी को केवल शक के आधार
    पर गिरफ्तार किया जा सकता है।
  • यह कानून नागरिकों के मूल अधिकारों का निलंबन करता है।