यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (विषय: एनबीएफसी के विनियमन के लिये 4-टियर स्ट्रक्चर (4-Tier Structure for Regulation of NBFCs)

यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए ब्रेन बूस्टर (Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


यूपीएससी और राज्य पीसीएस परीक्षा के लिए करेंट अफेयर्स ब्रेन बूस्टर (Current Affairs Brain Booster for UPSC & State PCS Examination)


विषय (Topic): एनबीएफसी के विनियमन के लिये 4-टियर स्ट्रक्चर (4-Tier Structure for Regulation of NBFCs)

एनबीएफसी के विनियमन के लिये 4-टियर स्ट्रक्चर (4-Tier Structure for Regulation of NBFCs)

चर्चा का कारण

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीएफसी के विनियमन की योजना बनाई है।

परिचय

  • पिछले एक-दो सालों से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में गड़बडि़यों के बाद केंद्रीय बैंक के लिए यह चिंता का विषय बन गया है।
  • मौजूदा समय में देश में करीब 10 हजार एनबीएफसी हैं, लेकिन उनमें से मुश्किल से दो दर्जन ही ऐसे हैं, जो वित्तीय रूप से मजबूत हैं। लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ने की वजह से एनबीएफसी को काम करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
  • बाजार में कर्ज की मांग न होने के वजह से एनबीएफसी का व्यवसाय पिछले काफी दिनों से एकदम सुस्त पड़ा हुआ था, जिसके चलते हाल ही में आरबीआई ने तीन एनबीएफसी का लाइसेंस रद्द कर दिया था और छह एनबीएफसी ने खुद अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया।
  • आरबीआई शीर्ष 50 एनबीएफसी पर करीब से नजर रखेगा और उनका ऑडिट बैंकों की तरह होगा।
  • ऊपरी तथा सबसे शीर्ष स्तर की एनबीएफसी की सख्ती से जांच-परख की जाएगी क्योंकि उनमें गड़बड़ी होने से पूरे वित्तीय तंत्र पर असर पड़ता है। 2018 में IL & FS के मामले में ऐसा देखा जा चुका है।

NBFCs का प्रस्तावित वर्गीकरण

  • भारतीय रिजर्व बैंक ने गैंर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के नियमन की चार स्तरीय व्यवस्था का प्रस्ताव किया है।
  • इसमें आकार-प्रकार के हिसाब से कंपनियों के लिए नियम हल्के या ज्यादा कड़े रखे जाएंगे। रिजर्व बैंक द्वारा जारी परिचर्चा पत्र में एनबीएफसी कंपनियों को चार स्तरों प्रथमिक, मध्यम, उच्च और शीर्ष श्रेणी में रखा जाएगा।
  • यह वर्गीकरण आकार, कंपनी पर कर्ज के अनुपात, परस्पर जुड़ाव, प्रतिस्थापित किए जाने की संभावना, कारोबार की जटिलताओं और प्रकृति जैसे कारकों के आधार पर किया जाएगा।

प्राथमिक

  • प्राथमिक स्तर की NBFCs को एनबीएफसी-बेस लेयर (NBFC&BL) के रूप में जाना जाएगा।
  • इस लेयर की NBFCs के लिये कम-से-कम विनियामक हस्तक्षेप को मंजूरी प्रदान की गई है।
  • इस स्तर में 1,000 करोड़ रुपये तक संपत्ति वाली एनबीएफसी होंगी और अधिकतर इकाइयां इसी में आ जाएंगी। इस स्तर के लिए नियामक व्यवस्था कुछ नरम होंगे।

मध्यम स्तर

  • मध्यम स्तर में NBFCs को NBFC- मिडिल लेयर (NBFC-ML) के रूप में जाना जाएगा।
  • इस लेयर के लिये नियामक व्यवस्था कुछ सख्त होगी।

उच्च स्तर

  • इसे NBFC-अपर लेयर के रूप में जाना जाएगा जो एक नई नियामक संरचना को आमंत्रित करेगा।
  • यह लेयर NBFCs द्वारा संचालित होगी हालाँकि वर्तमान में इस लेयर के समान कोई लेयर नही है अतः यह विनियमन के लिये एक नई लेयर होगी। इस लेयर में शामिल होने वाली NBFCs के लिये विनियामक ढांचा बैंक जैसा ही होगा।

शीर्ष स्तर

  • ये NBFCs अपर लेयर के शीर्ष पर एक अलग समूह के रूप में स्थापित होंगी। शीर्ष तब तक रिक्त रहेगी जब तक कि पर्यवेक्षक विशिष्ट NBFCs पर विचार नहीं करेंगे।
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी शामिल। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी उस कंपनी को कहते हैं जो कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत पंजीकृत हो,
  • इसका मुख्य कारोबार उधार देना, विभिन्न प्रकार के शेयरों/स्टॉक/ बांड्स/ डिबेंचरों/प्रतिभूतियों, पट्टा कारोबार , बीमा कारोबार, चिट संबंधी कारोबार में निवेश करना, तथा किसी योजना अथवा व्यवस्था के अंतर्गत एकमुश्त रूप से अथवा किस्तों में जमाराशियां प्राप्त करना है।
  • किंतु, किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी में ऐसी कोई संस्था शामिल नहीं है जिसका मुख्य कारोबार कृषि, औद्योगिक, व्यापार संबंधी गतिविधियां हैं अथवा अचल संपत्ति का विक्रय/क्रय/निर्माण करना है।

आगे की राह

  • मौजूदा एनबीएफसी को इनके क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा जहाँ एनबीएफसी के कॉर्पोरेट संचालन हेतु उच्च गुणवत्ता वाले मानकों का पालन करना होगा।
  • किसी एक इकाई का दबदबा रोकने के लिए उन्हें मालिकाना हक से जुड़ी संरचना में भी बदलाव करना होगा। आंतरिक बोर्ड से मंजूरी नीति के आधार पर संवेदनशील क्षेत्रें में ऋण आवंटन भी दुरुस्त करना होगा।