ब्लॉग : भारत में बढ़ते खगोल पर्यटन (ऐस्ट्रोटूरिज्म) के मायने by विवेक ओझा

ऐसे भारतीय राज्य जहां नाईट स्काई की अपार सुंदरता है और जहां लाइट पॉल्यूशन न के बराबर है , ऐसे राज्य अपने क्षेत्रों में एस्ट्रो टूरिज़्म को विकसित करने का प्रयास करने लगे हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्र तल से 2600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बेनीताल गांव को एस्ट्रो विलेज के रूप में विकसित किया जा रहा है। वहीं मध्य प्रदेश के मांडू और राजस्थान के जयपुर में एस्ट्रो पार्क विकसित किये जा रहे हैं। हाल ही में राजस्थान भारत का पहला राज्य बना है जिसने अपने सभी 33 जिलों में नाईट स्काई एस्ट्रो टूरिज़्म लांच किया है। गुलाबी शहर जयपुर में ही अकेले 4 ऐसे क्षेत्र हैं जो चांद तारों की महिमा देखने समझने के लिए जाने जाते हैं : जंतर मंतर , आम्बेर किला , यूनिवर्सिटी ऑफ महाराजा  और जवाहर कला केंद्र। राजस्थान का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग कह चुका है कि नई दिल्ली स्थित बीकानेर हाउस को एस्ट्रो टूरिज़्म के लिए चुना गया है और वहां स्काई वॉचिंग के लिए एक टेलिस्कोप लगाया जाएगा।

आपने पहाड़ों में टूरिज़्म के बड़े साधन होमस्टे के बारे में तो सुना होगा पर शायद एस्ट्रोस्टे के बारे में ना सुना हो। भारत के कुछ राज्यों में खगोलीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एस्ट्रोस्टे की शुरुआत हो चुकी है जिसका मतलब यह है कि आप ऐसे क्षेत्र में स्टे करेंगे जहां नीला आकाश चमक रहा होगा , जहां तारों , आकाशगंगाओं को , कई खगोलीय पिंडों को देखा जा सकेगा जिसके लिए वहां टेलिस्कोप सुविधा रहेगी। 2019 में लद्दाख के मान गांव में एस्ट्रोस्टे की शुरूआत की गई। तब 350 पर्यटक रात्रि की प्राकृतिक रोशनी का लुत्फ़ लेने के लिए यहाँ आकर रुके। एक ख़ास बात ये भी थी कि पर्यटक किसी दूसरे समुदाय के लोगों के साथ रात में रुके , उनके बीच संवाद हुआ , उनकी कला संस्कृति , भाषा को जानने का अवसर भी उन्हें मिला। पर्यटकों को लोकल कल्चरल हेरिटेज के बारे में भी जानने का अवसर मिला। इससे इको टूरिज्म और सतत विकास को भी बढ़ावा मिला। अब तक लद्दाख में 600 पर्यटकों को वहां के स्थानीय लोगों ने अपने घरों में ऐस्ट्रोस्टे कराकर लगभग 25 हज़ार अमेरिकी डॉलर का अर्जन किया है।

चांद सितारों में दिलचस्पी लोगों को शांतिप्रिय बनाएगी। इसके साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास में इससे बड़ी मदद मिलेगी। क्या आपको पता है कि वर्ष 2017 में दुनिया भर से 7 लाख लोग अमेरिका केवल पूर्ण सूर्य ग्रहण देखने गए थे। जी हां , एस्ट्रोनॉमी एक ऐसा क्षेत्र बनता जा रहा है जो देशों , राज्यों , गांवों के राजस्व का बड़ा जरिया बनता जा रहा है और जहां नही है वहां निश्चित रूप से इसको बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसका सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि लोगों को धीरे धीरे समझ आ जायेगा कि जलवायु परिवर्तन , ग्लोबल वार्मिंग , प्रदूषण के चलते हमारे खगोलीय पिंडों की रोशनी धूमिल हो सकती है , दूधिया चाँदनी रात रफूचक्कर हो जाएगी। इसलिए एस्ट्रोटूरिज्म इस दिशा में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

भारत का पहला डार्क स्काई रिजर्व लद्दाख में एस्ट्रो टूरिज़्म को देगा नई ऊंचाई : 

हाल ही में भारत के पहले डार्क स्काई रिजर्व के गठन को लेकर एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ है। यह समझौता बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, लद्दाख यूनियन टेरिटरी एडमिनिस्ट्रेशन और लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट कॉउन्सिल के बीच हुआ है। इस समझौते  पर हस्ताक्षर के दौरान लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर ,लद्दाख के सांसद और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के डायरेक्टर उपस्थित थे। इसके साथ ही हनले  स्थित चांगथांग वन्यजीव अभ्यारण्य को भारत का पहला डार्क स्काई रिजर्व  बनाया जाएगा। 

चूंकि लद्दाख एक शीत मरुस्थल है इसलिए यहाँ बिना किसी बाधा के खगोलिय अवलोकन करने में मदद रहती है। खगोल पर्यटन यानी एस्ट्रो टूरिज़्म को अगर ठीक तरीके से बढ़ावा दिया जाय तो भारत के सबसे युवा संघ शासित प्रदेश लद्दाख के स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। शायद आपको पता होगा कि चीन की फाइव फिंगर पालिसी के तहत लद्दाख को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिशें कुछ समय में तेज हुईं हैं । इस नीति के तहत चीन तिब्बत को अपने दाहिने हाथ की हथेली मानता है और लद्दाख , सिक्किम , अरुणाचल प्रदेश , नेपाल और भूटान को अपनी पाँच उंगलियां। इस गंभीर वास्तविकता को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने लद्दाख सहित जम्मू कश्मीर के कई हिस्सों में सुरक्षा और विकास की कार्यवाहियां तेज कर दी हैं। इसी कड़ीं में लद्दाख में पर्यटन को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए हाल ही में वहां भारत के पहले डार्क स्काई रिजर्व को जल्द ही खोलने का निर्णय लिया गया है।

लद्दाख में खगोल पर्यटन को बढ़ावा देकर देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से  लद्दाख की प्रशासन हेनले गांव को इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एस्ट्रोफिजिक्स के साथ मिलकर 'डार्क स्काई सेंचुरी घोषित करेगा। इसमें सेना भी प्रशासन की मदद करेगी। 

डार्क स्काई सेंचुरी में ऊर्जा खर्च किए बिना और दूसरे क्षेत्रों को प्रदूषित किए बगैर जरूरत के हिसाब से प्रकाश की प्राकृतिक व्यवस्था होती है। यहां रात के समय स्वाभाविक तौर पर अंधेरा होता है और सितारों की प्राकृतिक रोशनी होती है। लद्दाख के प्रधान सचिव (नियोजन, विकास और पर्यवेक्षण विभाग) ने संरक्षित और वन्यजीव क्षेत्रों में कुछ गतिविधियों को मुख्यधारा में लाने पर विचार-विमर्श करने के लिए बुलाई उच्चस्तरीय बैठक में यह घोषणा पहले ही की जा चुकी है। 

हनले खगोल के क्षेत्र में अध्ययन के लिए विश्व का सबसे ऊंचा स्थान है, जो हनले नदी के समीप है। यह जगह लद्दाख-तिब्बत रूट पर अवस्थित है। 17वीं सदी में यहां हनले मठ रहा है। 4500 मीटर की ऊँचाई पर हनले पहले से ही ऑप्टिकल गामा रे एंड इंफ्रारेड टेलीस्कोप का स्थान है , यह टेलीस्कोप इंडियन एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्ज़र्वेटरी काम्प्लेक्स , हनले पर स्थित है जिसका संचालन बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा किया जाता है। ये टेलीस्कोप तारों , गैलेक्सी , एक्जोप्लानेट और ब्रम्हांड के उदविकास के अध्ययन में उपयोग में लाये जाते हैं।

विवेक ओझा (ध्येय IAS)


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